Wednesday, August 3, 2011

When....

जब जब दर्द का बादल छाया,
जब ग्हम का साया लहराया,
जब आंसू पल्कों तक आया,
जब यह दिल घबराया;
हमने दिल को यह समझाया,

दिल आखिर तु क्युं रोता है?
दुनिया में युँ ही होता है,

यह जो गेहरे सन्नाटे हैं,
वक्त ने सबको ही बांटे हैं,
थोडा ग्हम है सबका किस्सा,
थोडी धूप है सबका हिस्सा;
आँख तेरी बेकार ही नम है,
हर पल एक नया मौसम है;
क्युं तु ऐसे पल खोता है,
दिल आखिर तु क्यून रोता है?

                                - Javed Akhtar

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